कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी की बस बादल समझाता है ,
मैं तुझ से दूर कैसा हूँ, तू मुझ से दूर कैसी है,
ये मेरा दिल समझता है, या तेरा दिल समझता है !
मुहब्बत एक एहसानों की पावन सी कहानी है,
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,
मेरी चाहत को तू दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले,
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता|
समन्दर पीर का अन्दर , है लेकिन रो नहीं सकता,
ये आंसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता,
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आँखों में आंसू है,
जो तू समझे तो मोती हैं, न समझे तो पानी है !
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा,
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा,
अभी तक डूब के सुनते थे किस्सा मुहब्बत का,
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा|
कवि- अरुण
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment