कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी की बस बादल समझाता है ,
मैं तुझ से दूर कैसा हूँ, तू मुझ से दूर कैसी है,
ये मेरा दिल समझता है, या तेरा दिल समझता है !
मुहब्बत एक एहसानों की पावन सी कहानी है,
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,
मेरी चाहत को तू दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले,
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता|
समन्दर पीर का अन्दर , है लेकिन रो नहीं सकता,
ये आंसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता,
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आँखों में आंसू है,
जो तू समझे तो मोती हैं, न समझे तो पानी है !
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा,
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा,
अभी तक डूब के सुनते थे किस्सा मुहब्बत का,
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा|
कवि- अरुण
Tuesday, April 28, 2009
Monday, April 27, 2009
jeevan ek avsar
जीवन एक अवसर है, जहाँ सब उपलब्ध है| वह सब उपलब्ध है जिससे हम आप्तकाम हो जायें|
जीवन में आनंद आता नहीं, लाना पड़ता है| जीवन में आनंद मिलता नहीं अर्जित करना पड़ता है| आनंद प्रयत्न है, संकल्प है, श्रम है| आनंद साधना है|
सूत्र: जन्म को सब कुछ नहीं मन लेना चाहिए|
सूत्र: जीवन को मनुष्य इस भांति स्वीकार करता है कि उस स्वीकृति के कारण ही जीवन से आनंद पैदा होने कि सारी गुंजाईश टूट जाती हैं| सारे द्वार बंद हो जाते हैं|
उधृत: "समुंद सामना बूँद में" लेखक ओशो
जीवन में आनंद आता नहीं, लाना पड़ता है| जीवन में आनंद मिलता नहीं अर्जित करना पड़ता है| आनंद प्रयत्न है, संकल्प है, श्रम है| आनंद साधना है|
सूत्र: जन्म को सब कुछ नहीं मन लेना चाहिए|
सूत्र: जीवन को मनुष्य इस भांति स्वीकार करता है कि उस स्वीकृति के कारण ही जीवन से आनंद पैदा होने कि सारी गुंजाईश टूट जाती हैं| सारे द्वार बंद हो जाते हैं|
उधृत: "समुंद सामना बूँद में" लेखक ओशो
Monday, April 20, 2009
ग्रहणशील होने के लिए तीन बातें
१) हर पल में जीने की कोशिश करें| सहजता से करें|
२) अति गंभीरता से जीवन को न लें| बड़ी सरलता से लें, जैसे खेल को लेंते हैं| वैसे ही जीवन को लें|
३) कोई अधैर्य, कोई जल्दी ना करें| जितनी जल्दी करेंगे उतनी ही देर हो जाती है| और जो जितने धीरता से खड़ा रहताहै, वो उतने ही जल्दी ग्रहण कर लेता है|
उधृत "साक्षी की साधना" द्वारा ओशो
२) अति गंभीरता से जीवन को न लें| बड़ी सरलता से लें, जैसे खेल को लेंते हैं| वैसे ही जीवन को लें|
३) कोई अधैर्य, कोई जल्दी ना करें| जितनी जल्दी करेंगे उतनी ही देर हो जाती है| और जो जितने धीरता से खड़ा रहताहै, वो उतने ही जल्दी ग्रहण कर लेता है|
उधृत "साक्षी की साधना" द्वारा ओशो
Sunday, April 19, 2009
Relationship Vs Time graph an Example
There is always a dark movie theater and two people lost to world, their hands clasped together - but hands do perspire when held for long...
Still it is beautiful to be in love.....
Excerpts from Fountain Head by Ayn Rand.
I would say that its 100% true. Even though the probability of end result is 0.9999. People do fall in love. And I think that given the end result, and the surety of the occurrence of former event by arrangement or of by self decision, why not enjoy the moment of holding each other before it perspires. When it perspires give room to some air and you will be alright again to enjoy.
So cheers and do fall in love :)
Still it is beautiful to be in love.....
Excerpts from Fountain Head by Ayn Rand.
I would say that its 100% true. Even though the probability of end result is 0.9999. People do fall in love. And I think that given the end result, and the surety of the occurrence of former event by arrangement or of by self decision, why not enjoy the moment of holding each other before it perspires. When it perspires give room to some air and you will be alright again to enjoy.
So cheers and do fall in love :)
कथा धैर्य की
कथा है,
नारद वैकुण्ठ जा रहे हैं| मार्ग में उन्हें एक वृद्ध साधु मिला, वृक्ष के नीचे|
उस साधु से कहा की तुम प्रभु से पूछ लेना कि मेरी मुक्ति को अभी कितनी देर और है| मुझे मोक्ष कब मिलेगा?
नारद ने कहा: ठीक है लौटते में जरूर पूछ लूँगा|
पास में उसी दिन दीक्षित हुआ एक फ़कीर अपना तम्बूरा ले के नाच रहा था| नारद ने मजाक में उससे भी कहा: तुम्हे भी पूछना है क्या?
वह फ़कीर कुछ ना बोला|
नारद वापस लौटे, उस वृद्ध साधुके पास जा कर कहा: मैंने पूछा था ईश्वर से| उन्होंने कहा कि अभी तीन जन्म और है|
उस साधु ने अपनी माला नीचे फेंक दी और कहा अन्याय है| कितना धीरज रखूं?
नारद आगे बढ़ गए| अभी भी उस वृक्ष के नीचे नया नया दीक्षित हुआ फ़कीर नाचता था|
नारद ने कहा: सुनते हो। तुम्हारे सम्बन्ध में भी पूछा मैंने| प्रभु ने कहा है कि वह जिस वृक्ष के नीचे नाच रहा है, उसमे जितने पत्ते हैं, उतने जन्म उसे साधना में लगेंगे| उसके बाद ही उसे मुक्ति प्राप्त हो सकेगी|
वह फ़कीर बोला: बस इतने ही पत्ते| "तब तो जीत लिया"| जगत में कितने पत्ते हैं| इस वृक्ष पर तो बहुत कम हैं|
वह फिर से नाचने लगा| और कथा कहती है, वह उसी क्षनद मुक्त हो गया|
सीख: धैर्य ही मुक्ति का साधन है| अधैर्य लम्बा करता है| अधैर्य समय मेहनत व साधना का नाश करता है|
ये कथा "साक्षी की साधना " लेखक -ओशो से उधृत है|
नारद वैकुण्ठ जा रहे हैं| मार्ग में उन्हें एक वृद्ध साधु मिला, वृक्ष के नीचे|
उस साधु से कहा की तुम प्रभु से पूछ लेना कि मेरी मुक्ति को अभी कितनी देर और है| मुझे मोक्ष कब मिलेगा?
नारद ने कहा: ठीक है लौटते में जरूर पूछ लूँगा|
पास में उसी दिन दीक्षित हुआ एक फ़कीर अपना तम्बूरा ले के नाच रहा था| नारद ने मजाक में उससे भी कहा: तुम्हे भी पूछना है क्या?
वह फ़कीर कुछ ना बोला|
नारद वापस लौटे, उस वृद्ध साधुके पास जा कर कहा: मैंने पूछा था ईश्वर से| उन्होंने कहा कि अभी तीन जन्म और है|
उस साधु ने अपनी माला नीचे फेंक दी और कहा अन्याय है| कितना धीरज रखूं?
नारद आगे बढ़ गए| अभी भी उस वृक्ष के नीचे नया नया दीक्षित हुआ फ़कीर नाचता था|
नारद ने कहा: सुनते हो। तुम्हारे सम्बन्ध में भी पूछा मैंने| प्रभु ने कहा है कि वह जिस वृक्ष के नीचे नाच रहा है, उसमे जितने पत्ते हैं, उतने जन्म उसे साधना में लगेंगे| उसके बाद ही उसे मुक्ति प्राप्त हो सकेगी|
वह फ़कीर बोला: बस इतने ही पत्ते| "तब तो जीत लिया"| जगत में कितने पत्ते हैं| इस वृक्ष पर तो बहुत कम हैं|
वह फिर से नाचने लगा| और कथा कहती है, वह उसी क्षनद मुक्त हो गया|
सीख: धैर्य ही मुक्ति का साधन है| अधैर्य लम्बा करता है| अधैर्य समय मेहनत व साधना का नाश करता है|
ये कथा "साक्षी की साधना " लेखक -ओशो से उधृत है|
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